जबाब तुम्हारे पास है l

(मित्रांनो हिंदी हा तसा माझा विषय नाही. पण मला हिंदी आवडते खूप . माझी हिंदीतली ही पहिली-वहीली लेक ....चुकू शकतो हे नक्की.. व्याकरणात ... माझ्यासाठी भाव महत्वाचा ... )

जबाब तुम्हारे पास है l 

कहू तो बहुत चालाख 
या , कहू तो बहुत नटखट ,
या तो बहुत भोलेभाले -
मेरे मित्र ने मुझसे पुछा ,
" क्या आपका प्रेमपर विश्वास है ?"
कैसे कहू उससे ... 
एक प्रेम तो मेरी 'श्वास' है l

सुबह सुबह क्यो देती है दरवाजेपर दस्तक
सूरज की किरने ?
कोई सुने या न सुने ,एकांतमे ही सही -
आपनी धुन मे क्यो गाते है झरने ?

क्यू फुटती है कलिया ?
क्यो खिल रहे है फूल ?
गाय के पैरोसे क्यो उड रही है धूल ?
रात अमावस की है l
फिर क्यो सितारोंकी इतनी झिलमिल ?

क्यो गरजते है अभी भी बादल ?
बरसते है धरतीपर l
कौन करता है अभिषेक ?
चट्टानोपर... खेतीपर ?
बारिशमे यहा ,मिट्टी तो क्या ,पत्थर भी,
कैसे हरे होते है ?
कैसे कभी कभी सुखे आंख भी -
आसुओंसे भरे होते है ?

धुआ तो दिखता है ..
पर कहा सुलगती है आग ?
कौन छेडता है दिल की तार ?
और ये है भी तो कौनसा अनुराग ?

क्यो छलकते है आंखोमे आंसुओके मोती ?
क्यो प्रेमकी पीडा मे राधा और मीरा रोती ?
' मन लागा मोरा यार फकीरी मे ....
क्यो गा रहा है कबीर ?
क्यो कविता के गहरे सागर तलमे -
डुबकी लगा रहे है गालिबो-मीर ... क्यो ?

अभी बिखरा कुछ नही l
ये कौनसा खिचाव है ?
पेड तो नजर नही आ रहा ...
फिर ये कैसी छाव है ?
ये जीनेकी तमन्ना...
ये मरने के इरादे ..
ये कौन से चिरंजीव घाव है ?

इक है राधा की , इक कान्हा की सांस है l
कितनी सुंदर .. ये आकाश और धरती की रास है l
क्यो , मजाक से पुंछ रहा है l मुझ गवार से ..
क्या आपका , प्रेम पर विश्वास है ?
मेरे हमदम ! मेरे दोस्त !! तुम्हारी कसम ..
जवाब तुम्हारे पास है !
जवाब तुम्हारे पास है l 

कोणत्याही टिप्पण्‍या नाहीत: